इस हीरे जैसे रिश्ते को
हमने हर बार
काटा
घिसा, कुरेदा , रगडा
चमकाया
और देखो, कितना कीमती दिखाई देता है
लेकिन सोचो तो
कितना छोटा रह गया है
हर वो हिस्सा जो टूटा
फिर जुड़ नहीं पाया
हर वो कोना जो
घिसा
नुकीला हो गया
हर वो टुकडा जो अलग हुआ
फिर मिल नहीं पाया
उंगली में पहना ये रिश्ता
आज खूबसूरत तो दिखता है
लेकिन चुभता बहुत है
काश हमारा रिश्ता
मट्टी सा
होता
जब चाहे जैसा चाहे ढल जाता
टूट जाता तो फिर जोड़ लेते
बिघर जाता तो फिर समेट लेते
दुनिया की नज़र में
कीमती तो ना होता
लेकिन कभी छोटा ना होता
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