Wednesday 21 August 2013

नट्टू की दुनिया




                                     

                                             नट्टू  की दुनिया




एक है शोटा प्यारा डकलिंग
फुदक फुदक कर चलता है
पंख हैं लेकिन उड़ नहीं पाता
फर फर फर फर करता है

नाम है  नट्टू , धाम है  ताल
पानी में वो बढे - पले
माँ के पीछे - पीछे तैरे
ज्यूं छोटी सी नाव चले

उल्लू  , डॉगी , बिल्ली मौसी
दोस्त हैं उसके बड़े - बड़े
अगर - मगर जब करे मगर तो
चोंच से उस से खूब लडे

 एक पत्थर है जिस पर बैठा
खूब देर तक सोचे है
फिर घंटों पानी के अन्दर
मोटी मछली खोजे है

मछली उसका प्रिय आहार
पकड़ नहीं पर पाता है
यहाँ गई और वहां गयी अब
चोंच नहीं कुछ आता है

जोजी टिगरिस दोस्त निराली
कलर है ऑरेंज स्ट्रिप्स हैं काली
दुनिया की वो पहली बाघिन
जिसकी शाकाहारी थाली

जब जंगल में दौड़े जोजी
नट्टू डकलिंग करे सवारी
पर जब दोनों लड़ते हैं तो
तेरी गलती, नहीं तुम्हारी

जोजी ने अपने पूँछ और कान
कर दिए एक दिन इसलिए दान
नट्टू चोरी कर लेगा
बेचेगा हाथों अन्जान

नट्टू अब नहीं लड़ता है
वो जोजी से कहता है
चलो फिर से दोस्त बन जाएं
खेलें कूदें नाचें गाएं  ….




हाथी दादा



हाथी दादा हाथी दादा
खाते हो तुम कितना ज्यादा 


अगर बनाना हो तुम्हारा लबादा 
कई थान कपडा आएगा 
तब वो लबादा बन पाएगा 



नोट - कविता मैंने DD NATIONAL  बच्चों के प्रोग्राम में सुनी थी 

Tuesday 20 August 2013

रिश्ता




इस हीरे जैसे रिश्ते को
हमने  हर बार
काटा
घिसा, कुरेदा , रगडा
चमकाया
और देखो,  कितना कीमती दिखाई देता है

लेकिन सोचो तो
कितना छोटा रह गया है

हर वो हिस्सा जो टूटा
फिर जुड़ नहीं पाया

हर वो कोना जो
घिसा
नुकीला हो गया

हर वो टुकडा जो अलग हुआ
फिर मिल नहीं पाया

उंगली में पहना ये  रिश्ता
आज खूबसूरत तो दिखता है

लेकिन चुभता बहुत है  


काश हमारा रिश्ता
मट्टी सा
होता
जब  चाहे जैसा चाहे ढल जाता
टूट जाता तो फिर जोड़ लेते
बिघर जाता तो फिर समेट लेते

दुनिया की नज़र में
कीमती तो ना होता

लेकिन कभी छोटा ना होता