Wednesday 11 January 2012

एक दिन और



एक दिन और
बुलाती रही मै,
आवाज़ दी मगर
पुकारा नहीं

एक दिन और
चिढाती रही देहरी
टिकी हुई थी जिस से , पर
तू आया नहीं

एक दिन और
ढलती गई मोम सी,
आग ने छूकर जिसे,
जलाया नहीं 

एक दिन और
सूनी रही खूबसूरती ,
निहारती रही मुझे ,
पास बुलाया नहीं

एक दिन और
इंतज़ार जिया तेरा ,
तेरे बिन अब एक पल
गुज़ारा नहीं

By ... उषा