Sunday 20 May 2012

हेल्लो दोस्त


मै जिस 
building मे रहता हू , उसी building मे एक बच्ची रहती है. छोटी सी बच्ची है शायद ढाई तीन साल की. कुछ दिन पहले मैने उसे पहली बार देखा था सांवला रंग , आकर्षक आंखे और सर पर कोई बाल नहीं. जब भी देखता था हमेशा दौडती और उछलती हुई दिखाई देती थी. मुझे उसका नाम नही पता लेकिन जब भी उसे देखता था हमेशा चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती थी. मै जब भी उसके पास से गुज़रता था उसके सिर पर हाथ फेर देता था. और अजीब बात ये है कि वो कभी मेरी तरफ मुड कर नही देखती थी. ना जाने किन ख्यालो मे हमेशा गुम रहती थी कि उसने कभी ये भी गौर नही किया कि कोई उसके सिर पर हाथ फेर कर जा रहा है. उसका मेरी तरफ ना देखना मुझे और प्यारा लगता था और मै हमेशा उसके सिर पर ये सोच कर हाथ फेरता था कि क्या आज ये मुझे notice करेगी ? और एक दिन उसने मुझे notice किया. मैने उसके सिर पर हाथ फेरा और उसने मुझे बहुत हैरानी से देखा. उसके बाद वो मुझे पहचानने लगी. फिर एक बार वो मुझे सीढीयो मे मिली और हमेशा की तरह मैने उसके साथ खेलने की कोशिश की. लेकिन इस बार उसने मुझे बहुत गुस्से से देखा. मुझे उसका गुस्सा भी बहुत cute लगा. अगली बार वो मुझे मिली तो मुझसे शरमा गई. मेरे सामने से भाग खडी हुई और एक दीवार की आड मे जाकर मुझे छुप कर देखने लगी. जब उसने देखा कि मै अब भी उसकी तरफ देख रहा था तो शरमा कर फिर छिप गई. मैने उस से बडा प्यार से कहा “ हेल्लो दोस्त “ . उसने जवाब नही दिया और ज़्यादा शरमा गई. मुझे लगा कि शायद अब मेरी इस से दोस्ती हो जाएगी. उसने शायद अपने दोस्तो को भी मेरे बारे मे बता दिया था. क्युंकि अब मै कही आस पास से गुज़रता तो वो और उसके दोस्त मेरी तरफ देखने लगते थे. मै मुस्कुराता हुआ वहा से निकल जाता.
आज रात को घर आते आते एक बज गया. इस वक्त मे मै उसके दिखने की कोई उम्मीद नही कर रहा था. बल्कि मै उसके बारे मे सोच भी नही रहा था. सीढिया चढते हुए अचानक first floor के turn पर मेरी नज़र रुक गई. सीढियो के पास वाले flat के सामने ही वो वो बच्ची बैठी थी. मै उसे देख कर एक पल के लिए रुक गया. उसके साथ ही उसकी मा और उसकी बडी बहन भी बैठी थी. उसकी मा की गोद मे एक छोटा सा बच्चा था. उसकी 7 या 8 साल की बडी बहन की पीठ मेरी तरफ थी. उसकी मा ने मेरी तरफ एक बार नज़र उठा कर देखा. उसकी आंखो मे आसू नही थे. कोई भाव नही था. रात को एक बजे घर के बाहर तीन छोटे बच्चो को लेकर बैठी मुश्किल से 25 साल की औरत की आंखो मे अगर कोई भाव नही है तो साफ है कि उसके साथ ऐसा पहली बार नही हो रहा था. सब कुछ समझने मे मुझे दो second लगे. उस छोटी सी बच्ची ने जैसे ही मेरी तरफ देखा , उसकी नज़रे मुझे पहचान गई. वो दुखी नही थी , चुप थी. आराम से अपनी मा के साथ बैठी थी. उसकी आंखो ने जैसे देखते ही  मुझसे कहा “ हेल्लो दोस्त “ .  मेरी आंखो मे उसकी हेल्लो का कोई जवाब नही था. मै  सीढीया उपर चढने लगा और जब तक उस बच्ची की आंखो से ओझल नही हो गया वो मुझे देखती रही. मै उसकी तरफ देख नही पा रहा था.

मेरे room mate ने मुझे बताया कि इसका बाप अक्सर इन्हे घर से बाहर निकाल कर दरवाज़ा बन्द करके सो जाता है.
मै कभी वो मासूम आंखे नही भूल पाउंगा जो मुझे देख रही थी. वो बच्ची मुझे आज के बाद भी मिलेगी. उसी बेफिक्री और मस्ती से खेलती हुई. लेकिन मै उसे अब उस तरह नही देख पाउंगा जैसे अब तक देखता आया था. शायद अब मेरी आंखे जब उसे “ हेल्लो दोस्त “ कहे तो उनमे वो बेफिक्री ना हो. 

2 comments:

  1. Gaurav yaar kahan hai tu... contect me yaar @ 09899763255 bht yaad aati hai teri kamine... tu to bhool hi gya.....

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  2. ur writing style changes when u r narrating a true incident and when u r telling a story.. isme tumhare emotions nazar aate hai.. u use a lot of pronouns.. :)

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