Wednesday 14 January 2015

नफ़रत

मेरी एक दोस्त है. उसकी और मेरी दोस्ती की अच्छी बात ये है कि वो अपने काले सच भी मुझे बताती है. बिना डरे. बिना ये सोचे कि मै उसके बारे में क्या सोचूंगा. इसलिए मुझे लगता है वो मुझे हमेशा सच बताती है. कम से कम अभी तक तो…….
उस दोस्त की कुछ बातें बहुत दिल्चस्प हैं. जैसे कि, वो एक बहुत अच्छी स्टोरी टेलर है. और क्योंकि कहानी बहुत अच्छी सुनाती है, तो ज़ाहिर है कि दुनिया को देखने उसका नज़रिया भी उतना ही शार्प है. उसकी ऑब्सर्वेशन बहुत अच्छी है.
वो हर रोज़ शाम को मुझे एक कहानी सुनाती है. वो कहानी, राजाओं, परियों या किताबों की नहीं होती. बल्कि ये कहानियां उसके आस-पास फैली हुई ज़िन्दगियां हैं, जिन्हें वो ऑब्सर्व करती है और मुझे बताती है. हर ज़िन्दगी एक कहानी. हर इंसान एक किरदार. हर घटना, एक चैपटर. मेरी दोस्त एक गांव में रहती है, इसलिए ये कहानियां भी गांव की ही हैं.
अब क्योंकि ये कहानियां सिर्फ़ ज़िन्दगियां हैं, इसलिए इनका कोई सिर पैर हो, ज़रूरी नहीं हैं. ये कहीं भी बीच से शुरू होती हैं और कहीं भी अब्रप्टली ख़त्म हो जाती हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि ये कहानियां illogical और अविश्वस्नीय घटनाएं होती हैं. लेकिन ज़िन्दगी तो ऐसी ही है. तर्क और विज्ञान से परे.
तो मुख्य बात ये है, इन कहानियों का कोई लॉज़िकल क्लाईमैक्स हो, ज़रूरी नहीं है. लेकिन इतना तय है कि इन कहानियों में आपको सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां दिखाई देंगी. कभी इंसान के नंगे सच तो कभी उसकी मजबूरियां, कभी लालच, इर्ष्या और क्रोध और कभी करूणा, प्रेम, और बलिदान दिखाई देंगे. और इन कहानियों को पढ कर आपको लगेगा कि ये आपके आस-पास की ही दुनिया है, जिसे आप जानते हैं, सोचते हैं, महसूस करते हैं.  मैं उन्हीं में से कुछ कहानियां यहां आपके साथ शेयर करने वाला हूं.
पहली कहानी है:




                                      नफ़रत

ये कहानी शुरू होती है उस दिन से जिस दिन गगन (बदला हुआ नाम)  के पिता का देहांत हुआ. गगन बहुत छोटा था. भरा-पुरा ख़ुशहाल परिवार था. एक छोटा भाई था. मां, पिताजी और दो चाचा. लेकिन अचानक पिताजी के एक्सीडेंट ने सब ख़त्म कर दिया. और फिर वो सब हुआ जिसके बारे में लोग कहते हैं कि घर का मर्द चला जाए तो ऐसा ही होता है.
छोटे चाचा, जिसका पहली पत्नी से तलाक हो चुका था और दूसरी पत्नी मर चुकी थी, गांव आकर उन लोगों के साथ रहने लगे. चाचा की नज़र मां पर पड़ गई. मौके ढूंढने लगा. मां ऐसा कोई रिश्ता चाचा से नहीं चाहती थी. सो विरोध किया. चाचा चालाक था. वहां से गया नहीं. वहीं रहता रहा. इसी दौरान गगन भी बड़ा हो रहा था. चाचा ने उसे बुआ के पास पढने भेज दिया. छोटा भाई घर पर ही रह गया.
जब फाईनली मां नहीं मानी तो एक दिन चाचा ने रेप कर दिया. जैसा कि अक्सर होता है, मां चुप रही. यक़ीन से तो नहीं कह सकता, लेकिन अन्दाज़ा यही है कि शायद उसने सोचा होगा कि मेरे बच्चों तक ये बात कभी ना ही पहुंचे तो बेहतर है. शायद वो जानती होगी कि ये सच अगर बच्चों को पता चल गया तो ज़िन्दगी भर वो सो नहीं सकेंगे. मां की चुप्पी चाचा की ताकत बन गई. अब, जब भी मौका मिलता चाचा रेप करता. मां चुप रहती.
समय इसी तरह धीरे धीरे गुज़र रहा था. गांव वाले दबे मुंह बात बनाने ही लगे थे, लेकिन खुल कर कोई कुछ नहीं बोलता था.
गगन छुट्टियों में घर आता था. इस दौरान वो क्या सुनता था, क्या नहीं, क्या समझता था, क्या नहीं, कह नहीं सकते. लेकिन जब गगन बड़ा होने लगा तो उसके लिए सब कुछ मुश्किल होने लगा. चाचा ने गगन के अन्दर का गुस्सा भांप लिया. लेकिन इस से पहले पूरा सच उसके सामने आए, चाचा ने कहानी को कहीं ओर मोड़ दिया. गगन के सामने सारी तस्वीर किसी ओर तरह पेश की. उसे बताया गया कि उसकी मां एक चरित्रहीन औरत है. फिर धीरे धीरे साज़िशें होने लगीं. ऐसे सबूत बनाए जाने लगे, जिस से गगन को अपनी मां चरित्रहीन नज़र आए. जैसे कि जब गगन घर आता तो मां के तकिए के नीचे माला-डी की गोलियां रख देना. मां इस पूरी साज़िश से बेख़बर थी.
धीरे-धीरे गगन का अपनी मां के प्रति व्यव्हार बदलने लगा. वह अपनी मां से बात नहीं करता था और कभी करता था तो बदतमीज़ी से. मां और दुःखी रहने लगी. गगन पढाई में बहुत तेज़ था. कोनवेंट स्कूल में पढता था. लेकिन अब उसकी पढाई भी डिस्टर्ब होने लगी.
इसी दौरान कहानी में एक और मोड़ आया. गगन की मासी, यानी उसकी मां की सगी बहन का देवर घर आने लगा. मैं नहीं जानता उसका नाम क्या है, लेकिन फिलहाल के लिए उसका नाम अमरनाथ रख लेता हूं.
अमरनाथ का गगन की मां के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बना. गगन की मम्मी ने अमरनाथ को सब कुछ बताया. अमरनाथ ने गगन की मम्मी से शादी कर ली और अपने साथ ले गया. ये फ़ैसला मां के लिए कितना मुश्किल रहा होगा, उसने अपने बच्चों को कैसे बताया होगा और उन्हें छोड़ कर नए घर में कैसे गई होगी, इस सबका सिर्फ़ मैं अन्दाज़ा भर लगा सकता हूं.
इस दौरान गगन का छोटा भाई भी ये सब कुछ देख रहा था. लेकिन उसकी प्रतिक्रिया क्या रही इस सब के दौरान मैं नहीं जानता. लेकिन गगन नफ़रत से भर गया. उसे यक़ीन हो गया था कि उसने जो कुछ देखा, सुना. समझा था, सब सच था. अब वो अपनी मां से नफ़रत करता था.  
उधर मां को नया साथी मिला था.  नई ज़िन्दगी में मिली थी. नई उम्मीदें जगीं. हौंसला आया. साहस बन्धा. 
चाचा ने अमरनाथ पर गगन की मां को अगवा करने का मुकद्दमा कर दिया. जैसा कि समाज की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ हुई शादियों में अक्सर होता ही है.  
पुलिस आई, कोर्ट-कचहरी हुई. गगन को भी गवाही के लिए बुलाया गया. गगन पहले से नफ़रत से भरा था. उसने कह दिया कि इस औरत से मेरा कोई रिश्ता नहीं है. मैं इसे मां नहीं मानता.

मां अपने नए पति के साथ वहां से चली गई. गगन और उसका भाई अकेले रह गए. गगन ने बी बी ए किया और गांव में आकर रहने लगा. पढाई में तो अच्छा था ही. C A T का एग्ज़ाम भी क्लीयर किया था लेकिन आर्थिक और पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से IIM में नहीं जा सका. गांव में रहने लगा. गांव के लड़कों के साथ खेत में जाता और भैंस चराता. गांव के लड़के चाहते कि गगन उनकी तरह मोबाईल में उंची आवाज़ में भोजपुरी गाने बजाए. लड़कियां छेड़े. कोंवेंट स्कूल का पढा लड़का गगन ये सब नहीं कर पाया. उसने गांव के लड़कों के साथ घूमना बन्द कर दिया. लड़के उसे सनकी बुलाने लगे. ताने कसने लगे, “ मां किसी और के बच्चे जन रही है, और इसकी आंख में लड़कियां भी चुभती हैं.” ये ताने गगन के कान में भी पड़ते. लेकिन क्या किया जा सकता था. 
फिर धीरे-धीरे कुछ और सच भी गगन के सामने आने लगे. उसे अपने चाचा की साज़िशों के बारे में पता चलने लगा. कैसे उसका चाचा उसे मां के ख़िलाफ़ भड़काता था और क्या क्या साज़िशें रचता था. लेकिन जब तक उसके सामने पूरा सच आ पाता. देर हो चुकी थी.

आज वो अपनी अपनी ग़लती पर पछताता है. मां-बाप को मिस करता है. अपनी मां से नफ़रत भी करता है और प्यार भी. उसकी फीलींग्स इतनी उलझी हुई हैं कि एक्सपलेन करना मुश्किल लगता है. 
  
नई ज़िन्दगी में, मां का अपना अलग परिवार है, बच्चे भी हैं.

चाचा तीसरी शादी कर चुका है.

गगन को जब ज़िन्दगी पिंजरा लगने लगी तो वहां से निकलने की कोशिश करने लगा. उसने सरकारी नौकरी की तैयारी करना शुरू कर दिया. सी आई एस एफ़ का इम्तिहान पास किया और फौज में चला गया.

गगन को आज तक कभी किसी लड़की से प्यार नहीं हुआ. कहता है लड़कियां मुझे पसन्द ही नहीं है. लेकिन बहुत कुरेदो तो बताता है, कि अगर शादी हो तो ऐसी लड़की से हो, जो पूजा पाठ करती हो, लम्बी चोटी बनाती हो और मेरा ख़्याल रखे....                   

4 comments:

  1. बेहतरीन! अगली किस्तों का इंतज़ार रहेगा।

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    1. Teary eyed. Intense. Reminded me of Gora by Tagore.

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  2. Maa! The one who makes you... and the one who breaks you!

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  3. pseudo and chiche ... typical institute stuff

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