अब तुम बिलकुल बच्ची हो गयी हो
गुलाबी रंग की फ्रॉक पहने
छोटे छोटे कदमो से
ज़िन्दगी के आँगन में
इधर उधर फुदकती हुई खेल रही हो
तुम्हारे आँगन में पडी
धुप में चमकने वाली कोई चीज़ ,
जिसका नाम तक तुम नहीं जानती ,
तुम्हे भा गयी है
उठा कर कभी ,
मुंह में डालने की कोशिश करती हो
दीवार पर पड़ने वाली
उसकी नकली चमक को पकड़ने में दिन बीत जाते हैं तुम्हारे
कभी वो तुम्हारी छाती से लगकर
तुम्हारी मासूम नींद का हिस्सा बन जाती है ,
और कभी तुम्हारे हाथों की मज़बूत पकड़ से
तुम्हारे प्यार के आकार में ढल जाती है
कोई और ले ले उसे , या छू भी ले
तो आसमान फट जाता है
और कभी फेंक कर दूर कहीं
कोई तितली पकड़ने लगती हो
इस चीज़ ने तुम्हे
हंसना सिखा दिया है
इस चीज़ ने
तुम्हे ज़िद्दी बना दिया है
धुप में चमकने वाली इस चीज़ को पाकर
तुम बिलकुल एक छोटी सी बच्ची हो गयी हो
लेकिन
वक्त बीतेगा और तुम बड़ी हो जाओगी ,
देहरी के दूसरी ओर
जहाँ ज़िंदगी की सड़क अलग होगी
और तमाम रंगों की सुन्दर चीज़ें मिलेंगी ,
कच्चे आँगन में
धुप में चमकने वाली चीज़ से खेलना
तुम्हे याद आएगा
meri zindagi ka hissa hai ye chamak...:))
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