एक दिन और
बुलाती रही मै,
आवाज़ दी मगर
पुकारा नहीं
एक दिन और
चिढाती रही देहरी
टिकी हुई थी जिस से , पर
तू आया नहीं
एक दिन और
ढलती गई मोम सी,
आग ने छूकर जिसे,
जलाया नहीं
एक दिन और
सूनी रही खूबसूरती ,
निहारती रही मुझे ,
पास बुलाया नहीं
एक दिन और
इंतज़ार जिया तेरा ,
तेरे बिन अब एक पल
गुज़ारा नहीं
By ... उषा
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